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राहुग्रह के अरिष्ट निवारण के उपाय

ज्योतिष जगत में राहुग्रह को छाया ग्रह माना गया है यह अनायास फल देने का माहिर खिलाडी है शुभ तथा अशुभ दोनो प्रकार के फल तीव्र गति के साथ करता है तमोगुणी वायु तत्व की प्रधानता लिये हुये, तीखे रसो का स्वामी ,वात प्रकृति, वृद्ध एवं मलिन स्वरुप दक्षिण दिशा का स्वामी माना गया है दक्षिण दिशा से हो रही किसी भी तरह शुभ और अशुभ घटना मे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप में राहुग्रह का योगदान माना जाता है ज्योतिष मे राहु को सर्प के मुख का आकार दिया गया है विषघर सर्प के समान ही फल राहु ग्रह करता है ऐसा शास्त्र सम्मत है राहु की स्वराशि कन्या तथा उच्च राशि मिथुन है मुख्यतः मीन राशि शत्रु राशि मानी जाती है जिस स्थान पर यह रहता है उस स्थान की उन्नति मे बाधक होता है। आमतौर पर बुध, शुक्र, शनि ग्रह इस के मित्र है तथा सूर्य, चन्द्रमा, मंगल इसके शत्रु है यह शुभ ग्रह के साथ योग होने की दशा मे शुभफल तथा अशुभ ग्रह के साथ अशुभफल करता है। वैज्ञानिकता:- सौर मण्डल मे राहु ग्रह की कोई बेहतर स्थिति नही है खगोलीय भाषा मे राहु को चन्द्र का उत्तरी ध्रुव कहा गया है राहु ग्रह सदैव वक्री रहता है उसका मुख्यतः कारण यह है कि जिस स्थान पर चन्द्रमा और पृथ्वी का मार्ग काट कर बिन्दु बनाते है वह मार्ग कभी भी स्थिर नही रहता है वह पीछे की ओर विपरीत दिशा मे ंसरकता जाता है यह प्रक्रिया 18 वर्ष तक निरन्तर चलती रहती है 18 वर्षो के पश्चात राहु पुनः उसी स्थान पर आ जाता है राहु सम्पूर्ण बारह (12) राशियो मे भ्रमण करने में 18 वर्षाे का समय लगाते है यह सदैव 180 अंश पर रहते है। अरिष्ट राहु क्या करते है:- राहु ग्रह के अरिष्ट होने की दशा मे हृदय सम्बन्धी रोग, दिल का दौरा, जहर खाने की प्रवृतियां, डिप्रेषन, आत्महत्या करने की सोच, पेट सम्बन्धी समस्त रोग, आत्मविश्वास में कमी, चिन्ता, शत्रुता, संकट, भूत बाधा, विष सर्प भय आदि का भी जन्मदाता बनता है राहुग्रह की शान्ति के उपाय:- राहुग्रह के अधिदेवता काल है तथा प्रत्यधि देवता सर्प है काल और सर्प के साथ राहुग्रह का बेहतरीन सन्तुलन है अर्थात अरिष्ठ होने की दशा में बिगाडने में माहिर है राहु से होने वाले अरिष्ट को दूर करने के लिये राहु से जुडी हुयी सामग्री का सुयोग्य पात्र को दान करने से लाभ प्राप्त होता है। क्या है दान सामग्री:- गोमेद, सोना, रत्न, शीशे से बनी वस्तुए, काले तिल, सरसों का तेल, सप्तधान्य, उरद, कम्बल, नीला कपडा, लाल फूल, तलवार, घोडा, सूप, काला फूल, लौह उपकरण, तिल भरा ताम्र पात्र आदि शनिवार की रात्रि मे दान कर सकते है 6 से 7 रत्ती का गोमेद भी धारण कर सकते है। राहु का तांत्रिक मंत्र:- ऊॅं हृीं राहवे नमः मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जप करके राहु ग्रह के प्रकोप से बच सकते है शनिवार के दिन राहु जी के लिये ब्रत भी कर सकते है दान, ब्रत, मंत्र, जप से अरिष्ट राहु का प्रभाव कम होगा ऐसा शाष्त्र सम्मत है।