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आर्शज्योतिष में आपका स्वागत है



वैध पारस नाथ शुक्ल 'शास्त्री'

अनिलामय, (गैस)
(217)
बसी खाय के दिन मा सौवै, करैं न तनिकौ काम
बनै गैस फूलै उदर, तिनके रक्षक राम।।

(218)
भुना, तला, तीता, जला, मैदा, और मलीन
बिना भूख भोजन करैं, गैस करै गमगीन

(219)
खाय उठै औ परैं उत्तान, आठ श्वास लीजै परमान
सेलह दाए, बतितस बाए तौ, कल परै अन्न के खाय

(220)
सेठ अरु गंधक शुद्ध लै, संधा नमक मिलाय,
नीबूं रस में घोटि कै गोली लेय बनाय।
मटरा सम गोली करै, भोजन ऊपर खाय,
ता पाछे भटठा पियै, गैस समूल नसाय।।

(221)
लहसुन, जीरा, सेन्धा, त्रिकुटा, गंधक शुद्ध समान
घी मे भूनी हींग मंगावै, नीबू रस संग धोटि मिलावै
गोली करि छाया मा सुखावै, गैस वनै तो दुर्इ-दुर्इ खावै
नासैं अफरा गैस भगावैं, शूल मिटैं रोगी सुख पावैं

(222)
शूल, गैस, अफरा होय जाय
मेंदा, दाल, तला न खाय
भूली, मिर्चा और अचार
इनका भी न करो विचार
भोजन बाद न पानी पिओ
शूल, गैस बिन बहु दिन जिओ


(223)
गैस बनै गुड़ गुड़ करैं, भूख औ प्यास नसाय
होय पेट या शूल अति, तौ लहसुन अदरख खाय

(224)
पित्त बढ़ै मिचली करैं, जलन गले मा होय
मिश्री सौंफ चवाइए, पित्तजशुल न होय


(225)
बनैं आंच, सूजन बढ़ै, कुछ-कुछ पेट पिराय।
नासैं भूख सुस्ती बढ़ै, तौ सोठ अजवाइन खाय।।

शिर शूल
(226)
पत्र जराकुंश कुचलि कै, काढ़ा रखौ बनाय
तीन बार दिन मा पियो, सर का शूल नसाय

(227)
सौंफ महीन चबाय कै, दूध गुनगुना लेय
मिचली औ सिरवर्द मा, तुरत फायदा देय

(228)
मलयागिरि चन्दन घिसो, कछु घन सार मिलाय
माथे मा लेपन करौं, शिराशूल मिटि जाय।

लेखक वैध पारस नाथ शुक्ल 'शास्त्री' विभागाध्यक्ष
विवेकानन्द पालीकिलनिक लखनऊ
मो0 नं0- 9336148404