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अरिष्ट केतु ग्रह की शान्ति के उपाय

छाया ग्रह माना जाने वाला केतु ग्रह ग्रह समूह मे अपनी स्वतन्त्र सत्ता नही रखता है जिस तरह के ग्रह के साथ युती अथवा दृष्टि होगी उसी तरह का फल कप्ता है यह मलि न स्वरूप, वृद्धा अवस्ािा का प्रतीत, तमोगुणी ,वायु,तत्व की प्रधानता का सूचक, बात प्रकृति, क्रूरता का प्रतीक माना गया है यह अनायास होने वाली घटनाओं का कारक है इसकी अपनी स्यम की राशिमी न तथा उल्लराशि धन है उसका फल भी पूर्णतः मंगल के समान है केतु भी बनाने और बिगाड़ने मे पूर्ण रूपेण दक्ष है। मुख्यतः,यह गुप्त वि़द्या, मन्त्र सिद्धि, तत्व ज्ञान, वैराग्य, तीर्थाटन, चर्म रोग आदि का कारक है इसके अधि देवता चित्रगुप्त, तथा प्रत्यक्षिदेवता ब्रम्हा जी है केतु ग्रह जीवन के अंतिम खन्ड मे अर्थात 48 वर्ष से 54 वर्ष के मध्य मे अच्छा तथा बुरा दोनो तरह का फल करता है यह जौसी स्थिति मे होता है वैसा ही फल करने की स्थिति मे रहता है अनायास किसी काम को बना देना और बिगाड़ देने की महारत हासिल है। क्या करता है अशुभ केतु गहन केतु ग्रह के अशुभ होने की दशा मे, घव होना, दांतो से सम्बन्धित समस्त बीमारिषं, जल जाना, कलह कलेश होना, शस़़़्त्राघात, दुर्घटना, चर्म एवं कुश्ठ रोग, स्नायु एवं सन्धिरोग, फोड़ा, फुन्सी,गर्भपात,चेचक, आदि रोगो की अस्विट केतु उत्पत्ति करता है शारीरिक कष्ट, अपघात, व्यवसायिक हानि, अशान्ति, और उलझ न जब बड़ने लगे तो यह मान चाहिये कि केतु ग्रह अस्विट हो चुका है। क्या है केतु ग्रह की शान्ति के उपाय केतु ग्रह के असिष्ट होने की दशा मे केतु दान की सामग्री सुयोग्य पात्र को दान करना चाहिये जैसे- लहसुनिया, सोना,लोहा,तिल,सरतधान्य,काला कपड़ा, धूमिल तेल, धूमिल फूल,नारियल, कम्बल,बकरा, इत्यादि रात्रि मे दान करना चाहिये तथा दुर्गा जी एवं गणेश की उपासना करनी चाहिये कुष्ट आश्रम आदि मे सुयोग्य पात्र को यथाँ सम्भव दान,मदद आदि करनी चाहिये साथ साथ अस्पताल आदि मे वृद्ध रोगियो की सेवा, गर्म वस्त्रो दान, दवाइयाँ, चावल,दालो का सूर्य बनाकर रोगियो की यथा सम्भव सेवा से केतु ग्रह का पाप प्रभाव कम किया जा सकता है यह गोचर मे अगली राशि मे प्रदेश से 3 माह पहले से ही फल कारक होता है यह राशि के 20 से 30 अंशो पर अधिकता के साथ फल करता है यह अत्यन्त शक्तिशाली और मोक्षप्रद होने के कारण 1 इसे धर्म शास़्त्रो मे शुभफल का एक भी माना गया है यह अश्वनी, मद्या तथा मूल नक्षत्र का अधिपाति भी है शुक्ल पक्ष के प्रथम,बुधवार अथवा शनिवार से सात्विक उपाय करेला प्राप्त होगा। 1. श्री गणेश जी की उपासना करे तथा संकष्ठी गणेश चतुर्थी का व्रत करे श्री गणेश अथर्व शीष का पाठ करे। 2. रात मे सिरहाने बाजरा रखे प्रातः काल चिडि़यो को खिलाये। 3. काले तथा सफेद तिल मिलाकर बहते ज लमे प्रवाहित करे लाभ मिलेगा। 4. मां छिन्न मस्ता की अराधना करे अरिष्ट केतु मे बृहद् लाभ प्राप्त होगा। 5. कुत्ते को रोटी नियमित रूप से खिलाये लाभ प्राप्त होगा। 6. बटुक भैरव की उपासना भी केतु जुड़े अरिष्ट कष्टो मे लाभदायक रहती है। 7. घर मे हाथी दांत से निर्मित कोई भी वस्तु अवश्य रखे लाभ प्राप्त होगी।