यह ग्रह अग्नि तत्व प्रधान, युवा अवस्था का प्रतीक, साहसी, उग्र स्वभाव, रक्तवर्ण, दक्षिण दिशा का स्वामी, रात्रि वली, सेनापति, क्षत्रिय गुणो से युक्त, ताम्रवर्ण, एवं चतुष्कोण आकृति का होता है। यह मेष तथा वृष्चिक राशि का स्वामी है मकर राषि के 28 अंश पर परम उच्च तथा कर्क राषि के 28 अंश पर परम नीच माना जाता है। मुख्यतः मंगल से पराक्रम, भाई, साहस, सामथ्र्य, बल, सेना, शौर्य आदि का विचार किया जाता है जिन जन्मांक मे मंगल ग्रह अच्छी स्थिति मे होता है वह व्यक्ति, सैन्य सेवा, चिकित्सा, स्पोर्टस, नेतृत्व, अनुशासन सम्बन्धी कार्य करने वाले होते है।
क्या करता है अशुभ मंगलः-
मंगल के अशुभ होने की स्थिति मे मनुष्य को गले सम्बन्धी रोग, कण्ठ रोग, फोड़ाफुन्सी, रक्त विकार, एनीमिया, आंखो सम्बन्धी रोग, सिरदर्द तथा रक्त सम्बन्धी समस्त रोग, गर्भपात आदि रोग होते हैं।
अशुभ मंगल के लिये क्या करेंः-
1. मंगल के अशुभ होने की दशा मे मंगलवार का व्रत, मंगल स्रोत का पाठ, लाल वर्ण की गाय की सेवा करनी चाहिये।
2. मूंगा, सोना, तांबा, गेहूँ, गुड़, मसूर, घी, लाल कपड़ा, लाल फूल, कस्तूरी, लाल केशर, लाल बैल, लाल चन्दन का दान करना चाहिये।
3. मंगलवार को सूर्योदय के समय 06 से 07 रत्ती का मूंगा, प्रतिष्ठित कराकर धारण करना चाहिये।
4. हनुमान जी की पूजा भी बेहद लाभकारक होती है।
5. लोभी, झगड़ेलू, स्वार्थी, आलसी व्यक्तियों से दूर रहना चाहिये।
पं0 आनन्द अवस्थी:
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