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आर्शज्योतिष में आपका स्वागत है


बुध ग्रह - पीड़ा रोग तथा निदान

नवग्रह समूह मे बुध जी को युवराज कहा जाता है यह रजोगुणी, पृथ्वी तत्वप्रधान, शूद्र वर्ण, त्रिधातु प्रकृति वाले, नपुंसक, उत्तर दिशा के स्वामी हरित वर्ण, चर प्रकृति, मिश्रिम रस वाले, इसके अधिदेवता भगवान विष्णु है। यह मिथुन और कन्या राशि के स्वामी है कन्या राशि 15 अंश परम उच्च तथा मीन राशि 15 अंश पर नीच होते है यह एक राशि का भ्रमण लगभग 18 दिनो मे पूरा करते हैं।
मुख्यतः बुध से ज्योतिष, निपुणता, चिकित्सा, कानून, अध्यापन-सम्पादन, चित्रकला, भगवान विष्णु से सम्बन्धी कार्य, विवेक , बुद्धि, तर्क -वितर्क आदि का विचार किया है।
बुध यदि जन्मांक में शुभ है तो उपरोक्त क्षेत्रों मे प्रगतिषील स्थितियाँ निर्मित होती है और यदि अशुभ स्थिति मे होता है तो उपरोक्त क्षेत्रो में अवनति की ओर प्रसस्त करता है।

अशुभ बुध से होने वाले रोगः- आपके जन्मांक मे बुध यदि अशुभ है तो उदर रोग, पेट सम्बन्धी रोग, कुष्ठ रोग, त्वचा रोग, ऊँचाई से गिरने का भय, वायु विकार, मन्दबुद्धि, रक्त की कमी, निम्न रक्तचाप होता हैं।

बुध की शुभता के लिये क्या करेंः-
1. भगवान विष्णु की उपासना हितकर होती है।
2. ऊँ ऐं श्रीं श्रीं बुधाय नमः का जप करना चाहिये।
3. गाय को हराचारा डालना हितकर होता है।
4. हरी सब्जियों और हरे वस्त्रों को दान करना उत्तम रहता है।
5. बुध ग्रह की प्रिय वस्तुओं को बुधवार को सूर्योदय के समय दान करना हितकर होता है जैसे, पन्ना, सोना, कांसे का बर्तन, मूंग, खांड, देषी घी, हरा कपड़ा, हरे फूल, हाथीदांत, कपूर, फल, चाकू आदि का दान उत्तम होता है।
6. तीन (3) से छः (6) रत्ती का पन्ना प्रतिष्ठित कराकर पहनना उत्तम होता है।
7. 27 अथवा 108 बुधवार का व्रत करना हितकर होता है।

 


पं0 आनन्द अवस्थी:
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