रुप, काम कला, सौन्दर्य की अनुभूति कराने वाला ग्रह शुक्र है यह सुन्दर,विशाल नेत्रों वाला, जल तत्व प्रधान, वातकफ पित्त प्रकृति वाला, दखिण पूर्व दिशा का स्वामी, श्वेत वर्ण, युवा किषोर अवस्था का प्रतीक, चर प्रकृति वाला स्वार्थी, भोगी, विलासी, मृदु स्वभाव वाला है। इसके स्वामी भगवान इन्द्र हैं। यह वृष और तुला राशि का स्वामी तथा मीन राशि के 27 अंष पर परम उच्च तथा कन्या राशि के 27 अंश पर परम नीच होता है यह सूर्य और चन्द्रमा को प्रबल षत्रु मानते हैं।
शुक्र से क्या विचार किया जाता हैः- मुख्यतः इस ग्रह से, स्त्री कामेच्छा, वीर्य, प्रेम, वासना, रुप सौन्दर्य, आकर्षण, धन, व्यापार, सांसारिक सुखों का कारक माना जाता है। संगीत प्रेम, शायरी, काव्यात्मक,
ग्रहस्थ जीवन का सुख, सुगन्धित एवं श्रंगार की वस्तुयें, चांदी, हीरा आदि का विचार भी किया जाता है शुक्र यदि आपके जन्मांक मे शुभ है तो समस्त सांसारिक वस्तुओं की सरलता से प्राप्ति होती है यदि अशुभ तो सांसारिक वस्तुओं मे कमी आती रहती है।
कैसे करें शुक्र को शुभः- --
1. ऊँ ह्री श्री शुक्राय नमः तथा ऊँ शुं शुक्राय नमः का जप 21000 बार करना हितकर होता है।
2. दुर्गासप्तश्षती का पाठ भी उत्तम रहता है।
3. शुक्रवार का व्रत रखना तथा कन्या पूजन भी षुभ कारक माना गया है।
4. शुक्र ग्रह से सम्बन्धित वस्तुओं का दान करना शुभ माना जाता है। जैसे - चांदी, सोना, हीरा, घी, सफेद वस्त्र, सफेद चन्दन, सफेद अष्व, दही, गन्ध द्रव्य, चीनी, इत्र, गौधूम आदि।
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